रविवार, 4 नवंबर 2012

क्योकि... होना, खूबसूरत है .

मुझे नहीं चाहिए

सुबह का सूरज
दिन की शुरुआत
के इशारे के लिए


न चाहिए

चमकता चाँद
और उसका बड़ी सी अलसायी आँखों से झाँकना
अंधेरो की परतों में;
रात को उसका अर्थ देने के लिए

न ही चाहिए

किताबे -
 अपने में बंद
जाने किस बात पे इतराती हुई;
अकेलेपन में साथ का
तिमिर  में प्रकाश का
भान देने के लिए


लेकिन


होना
बहुत खूबसूरत है
और वृहद्तर अर्थो में
जीवन  का पूरक है
होना
सुबह के सूरज का -
बेवकूफ से ताकते चाँद का -
और  इतराती सुन्दर किताबो का .


क्योकि तुम्हारा होना खूबसूरत है.. पूरक है.