सोमवार, 14 अप्रैल 2014

सुविधा, सच, समझ - तीन छोटी कवितायें












मेरी स्मृति
गहरे में मेरा चयन हैं.

हर चयन
एक सुविधा हैं.

हर सुविधा
सुविधाजनक नही होती.

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शोर और शब्द के मेल से बनी इस भाषा में
निःशब्द होना आया मेरे हिस्से

प्रश्न और उत्तर की शैली में बात करते करते
भूल गए हम
कि हर प्रश्न का दायरा
तय कर देता हैं उत्तर की सीमा

सीमा के भीतर रहने के लिए
एक सच टूटकर
कई टुकड़े झूठ बनता हैं.

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मेरी खिड़की से दिखने वाले नक्षत्र
तुम्हारे तारो से अलग है
यह हमारे आकाश का नही
खिड़कियो का भेद हैं.

अभी हमारा ये समझना बाकी हैं.