शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2016

इतिहास. होना.

डॉ भाऊ दाजी संग्रहालय में एक कृति 














मै इतिहास का छात्र रहा जीवन भर 
जो तने को छूकर जड़ो को जानने की कला का नाम है.

मैने स्मृति में जब भी - कुछ भी टटोला 
केवल जड़े हाथ आई 
सारे तने खो गए.

मेरे विषय में तिथि तथ्य है
और तथ्य इष्ट.
मेरे विषय में ईशनिंदा पाप है
और ईशनिन्दक ईश्वर.
मेरे विषय में मै संधिग्ध हूँ
और संदेह अनुपस्थित.

मै संदेह के रास्ते जाता हूँ 
तो स्मृति खो जाती है 
और इतिहास का कोई रास्ता
तुम तक नही जाता. 


मैंने खुद चुने है सभी श्राप   
ये जानने के बाद 
कि प्रेम में दूसरी कोई मुक्ति नही होती 

एक असफल कवि के बजाय 
मै एक असफल इतिहासकार होना चाहता हूँ.
सच में.