दुनिया भर के कवि लिख रहे थे
हमारे प्रेम के बारे में कविताएं
तुम्हारे गुलाबी कान
और सुलझी लट के बारे में
मेरे स्पर्श से होने वाली झुरझुरी
सांस से होने वाले कम्पन
माथे के बीचों-बीच चस्पा किये चुम्बन
और पीठ पे उकेरे हुए द्वीपो पर
मैं ये जानकर आगबबूला हो गया
'हरामखोर कवि'
'हरामखोर कवि'
मैनें दांत पीस कर कहा
मैं पीट ही देता उन कवियों को उस वक़्त
जो मेरे-तुम्हारे जन्म से पहले दिवंगत हो चुके थे