सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

हरामखोर कवि












दुनिया भर के कवि लिख रहे थे
हमारे प्रेम के बारे में कविताएं
तुम्हारे गुलाबी कान
और सुलझी लट के बारे में

मेरे स्पर्श से होने वाली झुरझुरी
सांस से होने वाले कम्पन
माथे के बीचों-बीच चस्पा किये चुम्बन
और पीठ पे उकेरे हुए द्वीपो पर

मैं ये जानकर आगबबूला हो गया
'हरामखोर कवि'
मैनें दांत पीस कर कहा

मैं पीट ही देता उन कवियों को उस वक़्त
जो मेरे-तुम्हारे जन्म से पहले दिवंगत हो चुके थे

अब, हमारे लगभग बीत जाने के बाद
वो निर्लज्ज हँसते है आकर सपने में मेरे
और मैं बदले और जुनून में लिखता हूँ
अजन्मे लोगो की प्रेम कविताएं.

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