गुरुवार, 15 अगस्त 2019

आज़ादी


हर तरह की आज़ादी से मैं खुश हूं
वो चाहे जैसे आयी
जिनकी मर्ज़ी से आई
जिनकी मर्ज़ी की आई
सबसे ज़्यादा वो खुश हैं,
जिन्होंने कीमत नही चुकाई

याद रहे,
कितनी ही आज़ादियों के मानचित्रों पर
एक विभाजन चुभता है
जब सब ज़ोर से हंसते है
कहीं, कभी
कोई सीना दुखता है

रविवार, 4 अगस्त 2019

देखना

वान गॉग, wikipedia commons












एक सुन्दर तस्वीर को कैसे देखते हो तुम?

बहुत सारे रंग
थोड़ा सा समंदर
बहुत सारी रेत

तुम देखते हो 
तस्वीर और तुम्हारे बीच
एक छोटी सी दूरी
और ढेर सारा समय

जो तस्वीर में है
वो तुम नही हो
तुम उसका शोक हो

तुम एक दिन सारा शोक समेट कर
बहाने जाओगे नदी के पास
और कभी वापस नही लौटोगे

जहाँ तुम हो
वहाँ से उसे धन्यवाद दो
जो कभी वापस नही लौटेगा

तुम्हारी कृतज्ञता
उसे हिम्मत देगी
जिसे करनी है अभी
एक लम्बी यात्रा.


शनिवार, 3 अगस्त 2019

दुख की सूचना












भौतिकी का एक स्थापित सत्य है
कि प्रकाश की गति अद्वितीय है
सूर्य से धरती की दूरी नाप लेता है प्रकाश मिनटों में
और बादल गरजने की ध्वनि से भी पहले
दिख जाती है हमे कड़कती हुई बिजली

फिर भी
ऐसा कितना कुछ है
जो है हमारी दुनिया मे
लेकिन अभी नज़र से दूर है

जैसे कई तारे
हमारी ही दुनिया के
जिनका प्रकाश
नही पहुंचा है हमारी पृथ्वी तक

एक रात अचानक आ जुड़ेगा
अँधेरे होते आसमान में 
एक नया 
अप्रत्याशित 
सितारा।

आकाश देखने पर ये याद आता है
कि ऐसे कितने ही दुःख है
जो हैं
लेकिन उनकी सूचना नही पहुंची है हम तक

हम तारों का जश्न मनाये
या अँधेरे का शोक
इससे रेशा भर भी फर्क नही पड़ता उस दूरी पर
जो एक दुख को हम तक पहुँचने में तय करनी है।