गुरुवार, 31 मई 2012

प्रेम , प्रश्न और प्रति-प्रश्न ???

प्रेम में होना
क्या होता है ?
या
क्या नहीं होता है^ ?

क्या  मिलन की अकुलाहट का
नाम
है प्रेम ??
(तो मिलन के बाद प्रेम समाप्त हों जाना चाहिए)

या सहारे का ही पर्यायवाच्ची है
(तब  तो मिलता होगा
 भरपूर
वो हर एक संस्था में
परिवार से अनाथालय तक)

या फिर एक खोज है
सतत ,निरंतर
पहचानने  की ,
समझने की , जानने की.
(फिर तो वो विज्ञानी भी होगा प्रेमी
जिसने खोजा था अणु सिद्धांत
करता गया उसे परिष्कृत
और बनाया
अणु बम)

या  फिर है प्रेम
होना
बस होना
हर प्रश्न और उत्तर के परे
शब्दों  और संज्ञाओ की सीमा से बाहर
निजी अनुभव
उतना ही निजी
जितना रहा हों
बुद्धत्व
या रही हों
सुजाता* की खीर
या होती हों
प्रसव  की पीड़ा 



Because, love is all about a mutually satisfying weirdness.

^ क्या नही है? - इस विषय पर शोध और अनुभव का समागम होना अभी (सोभाग्यवश या दुर्भाग्यवश) शेष है.
*Sujata, a maiden who, in Gautama Buddha's life, offered the Buddha a bowl of milk rice before he gave up the path of asceticism following six years of extreme austerities.



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