शुक्रवार, 5 अप्रैल 2019

प्रेम-प्रेम में

इस खेल में भी सांप 
सीढ़ी के तुरंत बाद होता
हम तोड़ सकते थे सारे पुराने नियम
या छोड़ सकते थे खेल भी 
हमने चुना सीढ़ियों को सांपो से डर कर

सांप फुफकार नही रहे
सांप हंस रहे थे

सारी सीढ़ियाँ सांपो ने ही बिछाई थी. 
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इस शतरंज में भी 
हर खेलने वाला बचाना चाहता है
बादशाह को

सबसे बुद्धिमान लोग लग जाते बादशाह बचाने में
बेमौत मारे जाते प्यादे
कुर्बान हो जाते हाथी, घोड़े
मरने-खपने को तैयार रहते वज़ीर और बेगम
बादशाह केवल एक घर आगे पीछे होकर बचा रहता

बादशाह सबसे कमजोर योद्धा था
लेकिन नियम था कि उसे बचाना है.

नियम न तो बदशाह को बुद्धिमान बनाते है
और माफ करना मेरे दोस्त - न बुद्धिमान को बादशाह
नियम ये तय करते है कि बचे रहेंगे बादशाह आखिर तक

बादशाह शह और शिकस्त के परे होते है
बादशाह ही खेल को शतरंज बनाते हैं.

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छुपम-छुपाई कितना भोला सा खेल है
खोजने वाला देता है मौका छिप जाने का
तुम नही जान पाते कि उल्टी गिनती करते हुए
वो कनखियों से सब देख रहा है.

तुम्हे छिप कर रहना है
अंधेरे कमरो में, कोनो में
पेड़ो के पीछे
बिस्तर के नीचे

जो सब कुछ देख रहा है
जो लगभग निडर हो शिकार पे निकला है
जिसका देखना भर कर सकता है तुम्हे खेल से बाहर

जिसके सिवाय इस खेल में न कोई नायक है न खलनायक

इतना शक्तिशाली होकर भी उसे डर है
कोई कहीं से उसे धप्पी न कर दे.


सारा इतिहास डर, ताकत और भय के बीच
सफल धप्पियों का इतिहास है
ये तुमने समझाया मुझे.

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पुनश्च:

जिन्हे सब अच्छे खिलाड़ी कहते थे
वो प्रेम के मामले में बेहद औसत निकले.
जो बनते थे हमेशा कप्तान और दिखाते थे कप्तानी
उनका प्रेम हमेशा गुस्सैल और चोटिल रहा.

मै उनकी सोहबत में भी बहुत रहा
जो अच्छे खिलाड़ी नहीं माने जाते थे
लेकिन जो खेल को खिलते हुए फूल की तरह देखते थे
वो खेल के कामचलाऊ नियम ही जानते थे
और अक्सर उनके टूटने पे मुस्कुरा दिया करते थे.

वो खेल खेलते हुए जी-जान लगा देते
और निराश केवल खेल न पाने पे होते.
उन्हें भी हो गया प्रेम 
उनको ही तो हुआ प्रेम.

वो आज भी हैं
खुशी, उदासी, सफलता, असफलता के अपने हिस्सो पे
हाथो को कस से थामे हुए.
तब भी लगता था, पर अब कहता भी हूँ 
कि क्या शानदार आदमी है!

हम सारे खेल खेलते हुए 
सीख रहे होतें है केवल प्रेम करना 

आखिर में
हम जैसा खेलना जानते है 
वैसा ही प्रेम करना भी.

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