मुझे नहीं चाहिए
सुबह का सूरज
दिन की शुरुआत
के इशारे के लिए
न चाहिए
चमकता चाँद
और उसका बड़ी सी अलसायी आँखों से झाँकना
अंधेरो की परतों में;
रात को उसका अर्थ देने के लिए
न ही चाहिए
किताबे -
अपने में बंद
जाने किस बात पे इतराती हुई;
अकेलेपन में साथ का
तिमिर में प्रकाश का
भान देने के लिए
लेकिन
होना
बहुत खूबसूरत है
और वृहद्तर अर्थो में
जीवन का पूरक है
होना
सुबह के सूरज का -
बेवकूफ से ताकते चाँद का -
और इतराती सुन्दर किताबो का .
दिन की शुरुआत
के इशारे के लिए
न चाहिए
चमकता चाँद
और उसका बड़ी सी अलसायी आँखों से झाँकना
अंधेरो की परतों में;
रात को उसका अर्थ देने के लिए
न ही चाहिए
किताबे -
अपने में बंद
जाने किस बात पे इतराती हुई;
अकेलेपन में साथ का
तिमिर में प्रकाश का
भान देने के लिए
लेकिन
होना
बहुत खूबसूरत है
और वृहद्तर अर्थो में
जीवन का पूरक है
होना
सुबह के सूरज का -
बेवकूफ से ताकते चाँद का -
और इतराती सुन्दर किताबो का .
क्योकि तुम्हारा होना खूबसूरत है.. पूरक है. |