तिश्नगी
दिल में मेरे पल रही है यह तमन्ना आज भी, इक समन्दर पी चुकूँ और तिश्नगी बाक़ी रहे
रविवार, 30 नवंबर 2014
राम नाम सत्य है!
एक कविता के बीचो-बीच
गुज़र जाती है एक अर्थी
जीवन के बीचो-बीच
ह्रदय को चीर कर जाती मृत्यु
शोर के बीच
अजाना-अनजाना रह जाता
एक प्रश्न
कि क्या सत्य है ?
कोई भी नाम ?
कोई नाम.
राम.
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