तिश्नगी
दिल में मेरे पल रही है यह तमन्ना आज भी, इक समन्दर पी चुकूँ और तिश्नगी बाक़ी रहे
शनिवार, 14 जुलाई 2012
समय आ गया है.
समय को अब नेपथ्य में भेजने का समय आ गया है.
अब तक हुआ है सब कुछ बहुत ही तरीके से .
बिलकुल चरणबद्ध.
गिनती की तरह.
पर जीवनी नहीं है मेरी
ये जीवन है.
जीवंत.
इस जीवट में व्यवस्था को सहेजने का समय आ गया है
समय को अब नेपथ्य में भेजने का समय आ गया है.
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