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मेरी स्मृति के पूरब में
एक प्रेम की दीवार है
उसपर लिखी है आधी कवितायें
और अधूरी कहानियाँ
हर कविता के दक्षिण में होता है
स्मृतियों का मरघट
अधूरी कहानियों के पात्र
प्रेत बनकर
अधूरी कविता के मरघट में घूमते हैं.
मैं प्रेम करता हूँ कि कहानी पूरी हो सके
ताकि वो प्रेत मुक्त हो जाएं.
प्रेम हर बार दगा कर जाता है
कहानी की बजाए कविता बन जाता है.
मुझे करने है अभी कई यत्न
जीने है अभी कई जीवन
सुननी और सुनानी है अभी कई कहानियाँ
देखने है अभी बहुत सारे स्वप्न
बस
मेरी उपस्थिति का सिरहाना हमेशा पूरब में रहे
कि ध्यान रखना कवि -
स्वप्न से भी प्रभावित होती है स्मृति
निद्रा स्वप्न-भंजक भी होती है.
और
दक्षिण में पैर करके नही सोते - ये मृत्यु की दिशा है.
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