Street Still Life, Martin Vorel |
जो याद है उसे भूलना मुश्किल है
जो भूल रहा है उसे बनाये रखना उससे भी कठिन
लिखे हुए को मिटाने और काटे हुए को पढ़ने में बहुत वक़्त ज़ाया होता है
ये सोचकर सारे कवि रोटी कमाने चले गए.
हमारे वक़्त में न रोटी की कमी है न शब्दो की
फिर भी भूख से मर जाते है लोग
और जीवन से गायब रहती कविता.
किसी रानी का स्वर कहीं पार्श्व से गूंजता
ये भूखे लोग रोटी की जगह शब्द क्यो नही खा लेते
कोई क्रांतिकारी भूख मिटा देने वाली
गिलोटिन देख कर मुस्कुरा रहा है.
अपनी दुनिया को मैं हर बार एक विस्मय के साथ देखता हूँ
इतिहास देखता है वापस मुझे
मेरी ही नज़रों से
प्रेम से बिंधे एक युगल की तरह
हम दोनों ही निराश भी होते है अक्सर एक दुसरे से
हम हताश होते है उस दोहराव से
जो पहली बार त्रासदी और फिर उसके बाद
हर बार एक स्वांग लगा.
प्रेम
इतिहास,
कविता,
बेस्ट ऑफ थ्री में बच जाएंगे में हम शायद,
इस बचकानी उम्मीद की आंखों में मोतियाबिंद है.
प्रेम, इतिहास, कविता से
अगर तापें जाएंगे केवल अलाव
तो उम्मीदे गर्म भर रहेंगी
राख हो जाने तक.
समझ के साथ जीने के लिए हमे लपट नही
थोड़ी सी रोशमी चाहिए, बस.
बहुत उम्दा 👌
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