१.
प्रेम में आसान है धीरे-धीरे मध्ययुगीन हो जाना
मुश्किल है उसमें
मध्य को उद्घाटित करना
और देना संबंधों को एक कालोत्तर आयाम.
मसलन,
हम प्रेम में जब मध्ययुगीन होने लगते है
तब प्रेम अचानक उत्तराधुनिक हो जाता.
मध्य की संकल्पना
इतिहास की एक त्रासद कल्पना है
उत्तराधुनिकता
एक राजा का अनोखा-अलबेला लिबास
इतिहास की भाषा को टटोलना
एक जोखिम भरा उपक्रम है
इतिहास की भाषा को टटोलना
एक जोखिम भरा उपक्रम है
जो चीखेगा कि राजा नग्न है
उसे कहानियों में बच्चे की उपाधि दी जायेगी
इसी तरह दूसरी रेखाओ को मिटा कर
लम्बी की जायेगी हमारे सयानेपन की रेखा.
२.
एक छोटा सा तिनका
डूबते को सहारा दे तो सकता है
लेकिन अक्सर डूबता आदमी
तिनके पे भरोसा नही करता
डूबने की शुरुआत
हमेशा अविश्वास से होती है.
जिसने भी कभी जीवन में घोसले देखे है
वे तिनके को हमेशा एक अलग नज़र से देखेंगे
हमने अपने समय मे
घोसलों को तिनका-तिनका होते देखा.
स्मृति के भंवर में
कविता एक तिनके की तरह है.
हम जो देखते है और जो सच है
इस अंतरसंबंध में असीम संभावनाएं है.
३.
जिसने भी कभी जीवन में घोसले देखे है
वे तिनके को हमेशा एक अलग नज़र से देखेंगे
हमने अपने समय मे
घोसलों को तिनका-तिनका होते देखा.
स्मृति के भंवर में
कविता एक तिनके की तरह है.
हम जो देखते है और जो सच है
इस अंतरसंबंध में असीम संभावनाएं है.
३.
शंका और सम्भावना का सिक्का हवा में उछालकर
सिक्के के वापस ज़मीन पर गिरने की प्रतीक्षा में
एक ओढ़ी हुयी नादानी है
तथ्य ही नही
कई बार हमारी नफरत के नियम भी
पुनर्विचार मांगते है.
आँखों पर लगे चश्मे
हमेशा दृष्टि को तीक्ष्ण करे, ये बिलकुल ज़रूरी नही.
कई बार हमारी नफरत के नियम भी
पुनर्विचार मांगते है.
आँखों पर लगे चश्मे
हमेशा दृष्टि को तीक्ष्ण करे, ये बिलकुल ज़रूरी नही.
हम विरोधाभासो को साधते
गर्वोन्मत्त लोग है
जो मानते है
कि सब पीछे छोड़ कर आगे बढ़ ही जायेंगे
इतिहास, स्मृति, काल, मृत्यु
इनसब की गति की सीमा से
ये भ्रम कितना निरपेक्ष है.
इतिहास, स्मृति, काल, मृत्यु
इनसब की गति की सीमा से
ये भ्रम कितना निरपेक्ष है.
4.
जो सुर-सार सापेक्ष है
वो संगीत है
जो निरपेक्ष
वही शोर.
जीवन रोज़मर्रा की गति में कभी कभी
ऐसे सत्य को अतिक्रमित भी करता है.
हर अतिक्रमण एक नई चौहद्दी बनाना चाहता है
जिसके पार्श्व में जाने क्यों सुनाई देती एक विद्रूप हंसी.
जिस सत्य को लांघ कर बनाये जाते नए नियम
उनकी लंबाई वही रुक जाती है.
इसीलिए हमारे समय में प्रेम, विश्वास, ईश्वर
और उनके जैसा सब कुछ
पॉकेट साइज आकार में ही मिला
जिन्हें अचानक ही किसी रोज़ भीड़ में से कोई भी
हमारी जेब काट कर ले गया.
कुछ बुरा होने से पहले ही
हमे ये दुःख सालता रहा
कि क्या है वो इतना कीमती
जिसके चोरी हो जाने की सूचना हमे हमेशा बस थोड़ी सी देर बाद मिलेगी.
५.
मैंने चिट्ठियों को कई बार आखिर से पढ़ना शुरू किया
ये एक क्रूर किस्म की जल्दबाजी थी
सन्देश न शुरुआत में था न आखिर में
वो उन दोनों में बींधा बीच में था कहीं
जैसे भरे पूरे सम्बन्ध में प्रेम होता है.
हम आखिर से बीच तक कभी नही पहुँच सकते
ये जीवन के गणित का नियम है.
असफल क्रूरताओं को इतिहास ने कभी माफ़ नही किया
सफल क्रूरताएं स्वर्ण अक्षरों में लिखी गयी
ट्रेजेडी परिभाषित करती रही प्रेम को
सफलता ने उसे विकृत कर दिया
हम विरोधाभासों की दुनिया में जीवित है
इसके महिमामंडन में नैतिक पतन है
साधारणीकरण में चेतनाशून्य विवेक
और इससे अनभिज्ञ होने में सुविधाजनक निद्रा.
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