सूचनाएं हर एक विचार पर
चढ़ रही है नागफनी की तरह
आंख बंद करने और खोलने के फर्क को
कम करती जा रही है सूचनाएं
इतिहास को पढ़ना
जिरहबख्तरो की बनावट को नज़दीक से देखना है
इतिहास
मनोविज्ञान नही है
वो साहित्य भी नही
इतिहास तेज़ भाग रहे सिकंदर के घोड़े की लगाम है।
मनोविज्ञान नही है
वो साहित्य भी नही
इतिहास तेज़ भाग रहे सिकंदर के घोड़े की लगाम है।
सूचनाओं का मोह
सिकंदरों को उन्माद देता है
इतिहास घोड़े को रोक कर पूछता है उससे
इतिहास घोड़े को रोक कर पूछता है उससे
मुँह में पड़ी लगाम के लोहे का स्वाद*
*धूमिल की अंतिम कविता की आखिरी पंक्ति थी - लोहे का स्वाद//लोहार से मत पूछो//उस घोड़े से पूछो//जिसके मुँह में लगाम है.
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