जितनी कसी होगी मुट्ठी
उतना अधिक रिसता जाएगा
प्रेम,
स्वप्न,
जीवन.
बंद मुट्ठी में सहेजी जा सकती है
केवल रूढ़ियाँ,
भ्रांतियाँ,
और अँधेरा.
मुट्ठियों का खुलना ज़रूरी है.
खुली हथेलियों पर ही पढ़ी जा सकती हैं
जीवन की आढ़ी-तिरछी रेखाएँ,
मुट्ठी खोलकर की थामा जा सकता है हाथ,
किया जा सकता है प्रेम,
लिखी जा सकती है चिट्ठियाँ,
पलटा जा सकता है इतिहास का
कोई अपठनीय पृष्ठ.
कोई अपठनीय पृष्ठ.
चलो
खोल दे सदियों से तनी-कसी मुट्ठियाँ
जिनसे झड़ती रेत के साथ
गिरकर टूट जाए मिट्टी के भ्रम भी,
मुक्ति पा जाए रूढियों के प्रेत,
तिरोहित हो जाए मुट्ठी भर अँधेरा.
ह्रदय
जवाब देंहटाएंबस ह्रदय. तुम्हारे लिए.
अँधेरा नहीं.
अँधेरे की परछाई भी नहीं. तुम्हारे लिए.
बस ह्रदय.