जब
एक छोटे से वृत्त में की जा रहीं हो
सबसे लम्बी यात्रा,
प्रेम को घिस-घिस कर किया जा रहा हो
पत्थर के जितना चिकना,
कल्पना से गढ़े जा रहें हो
अपने-अपने ज़रूरी झूठ,
और बहुत सारे शोर में दबायी जा रही हो
शून्य के मौन की टीस;
तब
कठिन फैसलों में प्रयोग करना
सबसे कम शब्द,
सबसे गहरे प्रेम पर बहाना
सबसे कम आँसु,
सबसे कीमती स्मृतियों को करना
सबसे कम याद,
सबसे गहन चुम्बन में लेना
सबसे कम साँसे.
शब्दों का बैर होता हैं
संबंधो की गरिमा से,
आँसुओ से भी धुल जाता है
स्मृतियों का संताप,
सबसे कीमती स्मृतियों को याद नही किया जाता है
जिया जाता है
जीवन की सीमा तक,
और, प्रेम में नही होना चाहिए व्यवधान
साँसों का भी.
इसीलिए
रची जाती है
नितांत निजी कवितायें
जीया जाता है
नितांत निजी जीवन.
लेकिन जानता हूँ
इस सहेजी हुई निजता के बावजूद
सबसे गहरे प्रेम पर बहाना
सबसे कम आँसु,
सबसे कीमती स्मृतियों को करना
सबसे कम याद,
सबसे गहन चुम्बन में लेना
सबसे कम साँसे.
शब्दों का बैर होता हैं
संबंधो की गरिमा से,
आँसुओ से भी धुल जाता है
स्मृतियों का संताप,
सबसे कीमती स्मृतियों को याद नही किया जाता है
जिया जाता है
जीवन की सीमा तक,
और, प्रेम में नही होना चाहिए व्यवधान
साँसों का भी.
इसीलिए
रची जाती है
नितांत निजी कवितायें
जीया जाता है
नितांत निजी जीवन.
लेकिन जानता हूँ
इस सहेजी हुई निजता के बावजूद
नमक मिले शब्दों, भीनी स्मृतियों
और मीठी साँसों
की महक आती रहेगी
सदी के दस्तावेज़ों में लिखे
सही और गलत,
सच और झूठ,
की महक आती रहेगी
सदी के दस्तावेज़ों में लिखे
सही और गलत,
सच और झूठ,
पाप और पुण्य,
-को खारिज करते
-पर प्रश्न उठाते
-से तठस्थ रहते
जीवन के शब्दकोष से
-को खारिज करते
-पर प्रश्न उठाते
-से तठस्थ रहते
जीवन के शब्दकोष से
और सनद रहेगा कि -
यथार्थ के समक्ष हमेशा जीवित रहते है स्वप्न
भविष्य के एक सिरे को थामे रखती हैं स्मृतियाँ
और
समाजशास्त्र से कंधे मिलकर खड़ी हो सकती है
एक छोटी सी कविता.
सुंदर !!
जवाब देंहटाएंAll through the day it stays: the sadness of coming
जवाब देंहटाएंinto a wet city at dawn, not speaking, neither of us,
when one by one the neon lights wake us from a cramped,
dream-ravaged sleep, driving home in one long curving sweep
on traffic-less roads with their morning walkers and damp dogs;
still thinking of that other place worked on by the sun,
the casuarina trees and shouts of people on the beach, frayed and
muffled by the heaving of the sea. We climb wet stairs where
no one’s been for days, thinking it ought to be the case that one
returns with screws, a piece of string, some word or turn
of phrase, something to fit somewhere, that click or slide or
resolution that has been wanting. Instead a winter monsoon
blurs the world; we wash our hair, shake out sand from folded clothes,
sleep for a while in the still early morning while vendors shout
the names of flowers, sleep so that our bones at least achieve that
calm alliance with our breathing and take us where we
want to go: a place like water when it lifts us in a magnet wave
to set us down again, and we’re unencumbered, weightless, brave;
our questions turn to images of strangers waving across fields,
pointlessly, insistently, across fields, through falling rain.