पलट कर मत देखना कभी
कहता है कवि
सपनो को
विदा करने से पहले
पुरखो की रह पर
गंगा की धार मे
इसके बाद कवि को
फिर कभी नहीं आते सपने
उसको आती है अब केवल नींद
एक लम्बे-निष्प्रयोजन जागरण के बाद
उसका पूरा जीवन अब एक इंतज़ार है
-जागरण में निद्रा का
-निद्रा में सपनो का
-सपनो को एक पुकार का
हर इंतज़ार को समेटे एक मौन हैं
जिसमे लिखी जाती हैं कवितायें
जिन्हें कभी नहीं पढ़ा जाता
-नहीं पढ़ा जा सकता
सभ्य समाज मे
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 22 सितम्बर 2018 को लिंक की जाएगी ....http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 22 सितम्बर 2018 को लिंक की जाएगी ....http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब....
जवाब देंहटाएंवाह!!!
सुन्दर
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